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पंचायती राज में भ्रष्टाचार: सरपंच, सचिव और अधिकारी, जवाब कौन देगा?

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पंचायती राज में भ्रष्टाचार

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पंचायती राज व्यवस्था का उद्देश्य था सत्ता को निचले स्तर तक पहुंचाना, ताकि आम नागरिक भी अपने गांव के विकास में सीधे तौर पर भाग ले सकें। लेकिन अक्सर, यही व्यवस्था भ्रष्टाचार का एक नया केंद्र बन जाती है। सरपंच, सचिव और ग्राम पंचायत के कर्मचारी, ये तीनों मिलकर एक ऐसा चक्रव्यूह बनाते हैं जिससे बाहर निकलना मुश्किल होता है। सरपंच, जो जनता द्वारा चुने जाते हैं, अक्सर अपने पद का दुरुपयोग करते हैं। सचिव, जो एक सरकारी कर्मचारी होता है, अपनी स्थिति का लाभ उठाकर घोटालों में शामिल हो जाता है। और बाकी कर्मचारी, जो इन दोनों के साथ होते हैं, वे भी इस मिलीभगत का हिस्सा बन जाते हैं।



यह मिलीभगत कई रूपों में सामने आती है। कभी फर्जी मजदूरों के नाम पर 'मनरेगा' का पैसा निकाला जाता है, कभी बिना काम किए ही बिल बना दिए जाते हैं। 'प्रधानमंत्री आवास योजना' के तहत गरीबों को घर मिलने की बजाय, उन लोगों को घर दे दिए जाते हैं जो पहले से ही अमीर हैं, या फिर सरपंच के करीबी हैं। सरकारी स्कूलों और अस्पतालों की मरम्मत के लिए आया पैसा सिर्फ कागजों पर खर्च हो जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है।

सवाल यह है कि इस भ्रष्टाचार का मुकाबला कैसे किया जाए? सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है इन लोगों की जवाबदेही तय करना। हमें यह जानना होगा कि कौन सा काम किसने किया और उसके लिए कितना पैसा मिला। इसके लिए हम आरटीआई का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप सीधे तौर पर सरपंच या सचिव से जानकारी मांग सकते हैं। आप पूछ सकते हैं कि 'फलां-फलां' योजना में कितना पैसा आया और कहां खर्च हुआ। अगर वे जवाब नहीं देते हैं, तो आप उच्च अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं।

इसके अलावा, ग्राम सभाओं की बैठकें बहुत महत्वपूर्ण हैं। ये बैठकें हर छह महीने में होती हैं, और इसमें सभी ग्रामवासी भाग ले सकते हैं। इन बैठकों में सरपंच को पिछले छह महीनों में किए गए कामों का ब्यौरा देना होता है। लेकिन अक्सर, ये बैठकें सिर्फ कागजों पर होती हैं, या फिर बहुत कम लोग इनमें भाग लेते हैं। हमें इन बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। हमें सरपंच और सचिव से सवाल पूछने चाहिए। अगर हम सवाल पूछेंगे, तो वे जवाब देने के लिए मजबूर होंगे।

सोशल मीडिया भी एक बहुत ही शक्तिशाली टूल है। आज, लोग अपने फोन से वीडियो बनाकर इन गड़बड़ियों को उजागर कर सकते हैं। एक छोटा सा वीडियो भी बड़े से बड़े घोटाले का पर्दाफाश कर सकता है। जब लोग देखते हैं कि उनके गांव में क्या हो रहा है, तो वे एकजुट हो जाते हैं। जब लोग एकजुट होते हैं, तो वे एक शक्तिशाली बल बन जाते हैं जिसे कोई नहीं रोक सकता।

आखिर में, यह समझना जरूरी है कि यह लड़ाई सिर्फ सरपंच या सचिव के खिलाफ नहीं है, बल्कि उस पूरे भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ है जो हमारे गांव के विकास को रोक रहा है। हमें यह समझना होगा कि ये पैसा हमारा है, जनता का है। यह उस टैक्स का पैसा है जो हम अपनी कमाई से देते हैं। अगर इस पैसे का सही इस्तेमाल नहीं होगा, तो हमारे गांव का विकास कभी नहीं होगा। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें और जब भी कोई गड़बड़ी दिखे, तो उसे बेझिझक उजागर करें।

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